मुझे अब मिला है,
जब शाम-का-सूरज ढ़लते हुए,
आसमान में सबसे सुंदर रंग
भिखेर चूका है।
जब अँधेरा है,
और ढ़लते सूरज के रंग,
घुल गए है
आसमान की छाती में।१।
तू मुझे अब मिला है,
जब चोटों में,
टिस होनी,
बंद हो चुकी है।
और तेरी प्यारी, गर्म फूँक का
अब मेरी चोट को,
एहसास भी
नहीं रहा है।२।
तू मुझे अब मिला है,
जब बारिश रुक-सी गयी है,
और अब बूंदा बांदियो से
मेरी आँखें भी भीग नहीं पा रही।३।
तू मुझे अब मिला है,
जब पतझड़ से,
मेरे दिल की शाखाएँ,
सख़्त हो चुकी है,
और न बाऱिश
न धुप
की
गुज़ारिश है |४।
तू मुझे अब मिला है
तू मुझे अब मिला है।
Outstandingly written 👏👏❤